Tuesday, December 1, 2015

कविता : एक बूँद

भावनाएँ अनेक पर उभर कर आती एक अभिव्यक्ति
अनेकों नाम से जानते हैं सब पर स्वभाव उसका एक
कभी आसमान से गिरती पानी की चंचल बूँद बन कर
कभी आँखों से ढुलक जाती थोड़ी नमी की धार बन कर

कितना कुछ समा सकता है एक छोटे से कतरे में कि
पूरा इन्द्रधनुष सिमट आता है पारदर्शी शीशे में
नज़र को धुंधला कर देती आँखों में समा कर
मेहनत का प्रमाण बन जाती ललाट पर उभर कर

कभी किसी की पिपासा तृप्त करने में तत्पर
कभी मन के भावों को व्यक्त करने का साधन
कभी गुलाब की पंखुड़ियों पर सुंदरता का उदाहरण
कभी नए जीवन का संचार करने की ज़रुरत
रूप, नाम, काम बेशक हैं अनेक पर अस्तित्व है एक I

No comments:

Post a Comment

Related Posts with Thumbnails
Related Posts with Thumbnails